मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और कथा सुनने से मनुष्य को मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी की कथा इस प्रकार है:
मोक्षदा एकादशी कथा:
प्राचीन काल में गुजरात प्रदेश में वैखानस नामक एक राजा राज्य करते थे। वह बहुत धार्मिक और प्रजा का पालन करने वाले थे। एक रात राजा को एक भयानक सपना आया, जिसमें उन्होंने देखा कि उनके पिता नरक में यातनाएं भुगत रहे हैं। यह सपना देखकर राजा बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपने पिता की मुक्ति का उपाय ढूंढना शुरू किया।
राजा ने पर्वत पर जाकर महर्षि वशिष्ठ से इसका हल पूछा। महर्षि वशिष्ठ ने राजा को बताया कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं, का व्रत करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। महर्षि ने राजा को इस व्रत का विधान बताया और कहा कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और रात्रि जागरण करके कथा सुननी चाहिए।
राजा ने महर्षि के बताए अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और अपने पिता की मुक्ति के लिए प्रार्थना की। इस व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई और वे स्वर्ग चले गए। तब से यह मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और व्रत करने वाले को भी जीवन में सुख-शांति मिलती है।
व्रत का महत्व:
- मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- यह व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी किया जाता है।
व्रत विधि:
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें फल, फूल, तुलसी दल आदि अर्पित करें।
- दिन भर व्रत रखें और केवल फलाहार करें।
- रात्रि में जागरण करके भगवान विष्णु की कथा सुनें।
- द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और फिर स्वयं भोजन करें।
मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।