सावन व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन व्रत फलहार पे रखा जाता है। अन्न सेवन इस व्रत मे माना होता है। सावन के व्रत में सुबह उठ कर स्नान करे भगवान शिव का जलाभिषेक करे। इसके बाद भोलेनाथ को दूध,गंगाजल,घी,शहद,बेलपत्र और अक्षत आदि अर्पित करें। सावन व्रत में भगवान शिव की विधि विधान पूर्वक पूजा करें। इसी के साथ शाम को सावन सोमवार कथा पढ़े या सुने। आरती अवश्य करें। भगवान शिव के बीज मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।

सावन सोमवार व्रत पूजन सामग्री
भगवान शिव व माता पार्वती की प्रतिमा, फल, फूल, मिठाई, दही, पंच रस, गाय का कच्चा दूध, आम के पत्ते, दीप, धूप, कपूर, शुद्ध घी, मौली, जनेऊ, शहद, गंगाजल, श्रृंगार सामग्री, रोली, भांग, धतूरा, पंच मेवा व दक्षिणा आदि।

सावन सोमवार व्रत कथा
स्कन्द पुराण अनुसार, एक बार सनत कुमार ने भगवान शिव से पूछा भगवान आपको सभी महीनों में सावन ही सबसे ज्यादा प्रिय क्यों हैं। उस समय भगवान शिव जी बताया, 'मुझसे विवाह करने के लिए देवी सती ने कठोर तपस्या की और यहां तक कि उन्हें अपने पिता के भी विरुद्ध जाना पड़ा। मुझसे विवाह के बाद जब देवी सती ने अपने पिता के घर पर मेरा अपमान होते हुए देखा तो उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद सती का जन्म पर्वत राज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ और उनका नाम देवी पार्वती पड़ा। इस जन्म में भी उन्होंने मुझसे विवाह करने के लिए पूरे सावन मास निराहार रहकर कठोर तपस्या की। जिसके परिणाम स्वरूप मैंने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।' यही वजह है कि सावन सोमवार व्रत करने से इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती है। पारिवारिक जीवन में खुशियां रहती हैं। विवाह का योग बनता है।