षटतिला एकादशी

षटतिला एकादशी का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत की कथा निम्नलिखित है:

षटतिला एकादशी व्रत कथा:

प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी थी जो बहुत ही धार्मिक और पतिव्रता थी। वह नियमित रूप से व्रत और पूजा-पाठ करती थी। उसके पति ने उसे छोड़ दिया था, फिर भी वह अपने धर्म और नियमों का पालन करती रही। एक बार उसने षटतिला एकादशी का व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से इसका पालन किया।

उसकी भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और कहा, “हे देवी! तुम्हारी भक्ति और व्रत से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।”

भगवान विष्णु ने उसे आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और विधि-विधान से करेगा, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी और उसका जीवन सुखमय होगा। इसके बाद से ही षटतिला एकादशी का व्रत मनाया जाने लगा।

व्रत का महत्व:

षटतिला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत धन, सुख और समृद्धि प्रदान करता है। इस दिन तिल का उपयोग करना शुभ माना जाता है, जैसे तिल से स्नान करना, तिल का दान करना और तिल से बने पदार्थों का सेवन करना।

इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।