एकादशी व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर महीने में दो बार आता है – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं (11वीं) तिथि को। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे आध्यात्मिक शुद्धि, मोक्ष की प्राप्ति और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है।

एकादशी व्रत के मुख्य पहलू:
- उद्देश्य:
- आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति।
- भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त करना।
- शरीर और मन का शुद्धिकरण।
- व्रत के प्रकार:
- निर्जला एकादशी: बिना पानी और भोजन के सख्त व्रत।
- फलाहार व्रत: केवल फल, मेवे और दूध उत्पादों का सेवन।
- आंशिक व्रत: एक समय भोजन करना, जिसमें अनाज और दालों से परहेज किया जाता है।
- नियम और दिशा-निर्देश:
- अनाज, दालें, प्याज और लहसुन से परहेज करें।
- मांसाहार और शराब का सेवन कदापि न करें।
- प्रार्थना, ध्यान और शास्त्र पाठ (जैसे भगवद गीता या विष्णु सहस्रनाम) पर ध्यान केंद्रित करें।
- व्रत को अगले दिन (द्वादशी) सूर्योदय के बाद, एक निश्चित समय में तोड़ें।
- प्रमुख एकादशी:
- निर्जला एकादशी: सबसे कठिन और पुण्यदायी मानी जाती है।
- वैकुंठ एकादशी: भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ के द्वार खोलने वाली।
- मोक्षदा एकादशी: मोक्ष प्रदान करने वाली।
- कामदा एकादशी: मनोकामनाओं को पूरा करने वाली।
हर महीने में दो एकादशी होती हैं – एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी होती हैं। कभी-कभी अधिकमास या मलमास के कारण एक अतिरिक्त एकादशी भी आती है, जिससे कुल 26 एकादशी हो जाती हैं। सभी एकादशी के नाम इस प्रकार हैं:
1. उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष)
2. मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष)
3. सफला एकादशी (पौष कृष्ण पक्ष)
4. पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल पक्ष)
5. षटतिला एकादशी (माघ कृष्ण पक्ष)
6. जया एकादशी (माघ शुक्ल पक्ष)
7. विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण पक्ष)
8. आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल पक्ष)
9. पापमोचिनी एकादशी (चैत्र कृष्ण पक्ष)
10. कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल पक्ष)
11. वरुथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण पक्ष)
12. मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल पक्ष)
13. अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)
14. निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)
15. योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण पक्ष)
16. देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल पक्ष)
17. कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण पक्ष)
18. श्रावण पुत्रदा एकादशी (श्रावण शुक्ल पक्ष)
19. अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण पक्ष)
20. परिवर्तिनी एकादशी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष)
21. इंदिरा एकादशी (आश्विन कृष्ण पक्ष)
22. पद्मिनी एकादशी (आश्विन शुक्ल पक्ष)
23. परमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण पक्ष)
24. प्रबोधिनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष)
अधिकमास (मलमास) में पड़ने वाली एकादशी:
- पद्मिनी एकादशी (अधिक मास कृष्ण पक्ष)
- परमा एकादशी (अधिक मास शुक्ल पक्ष)
ये सभी एकादशी व्रत भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं और इन्हें विधि-विधान से करने पर पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- लाभ:
- आध्यात्मिक शांति और उन्नति।
- पापों का नाश और कर्मों का शुद्धिकरण।
- शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार।
- मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि।
एकादशी व्रत कैसे करें:
- तैयारी:
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें।
- व्रत:
- चुने हुए व्रत के प्रकार का पालन करें।
- नकारात्मक विचारों और कर्मों से बचें।
- पूजा और अनुष्ठान:
- भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करें।
- मंत्र”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
- मंदिर जाएं या घर पर पूजा करें।
- व्रत तोड़ना:
- द्वादशी को सूर्योदय के बाद हल्का भोजन करें।
- परंपरानुसार, फल, दूध या अनुमत सामग्री से बने व्यंजनों से व्रत तोड़ें।
एकादशी व्रत का महत्व:
एकादशी व्रत न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह शरीर को डिटॉक्स करने और मन को शांत करने में मदद करता है। इस व्रत को करने से भक्तों को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों लाभ प्राप्त होते हैं।